Do Screens Cause Myopia in Kids? Optometrist से पूछे गए सबसे Common Questions
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बच्चों की आंखों में चश्मा नंबर क्यों आता है? क्या अंधेरे में पढ़ना या स्क्रीन देखना नुकसानदायक है? इस वीडियो में डॉ. ने पेरेंट्स के सबसे कॉमन सवालों के आसान और समझने लायक जवाब दिए हैं। जानिए माइनस नंबर की वजहें, रोकथाम के उपाय, आंखों की देखभाल और सही डाइट से जुड़ी ज़रूरी बातें।
रेगुलर आई चेकअप, स्क्रीन टाइम कंट्रोल और हेल्दी लाइफस्टाइल से बच्चों की आंखों को कैसे बचाएं – जानिए इस वीडियो में!
Why do kids get glasses? Is reading in the dark or watching mobile harmful to the eyes? In this video, Dr. answers the most common parent questions simply and clearly. Learn about causes of minus number, prevention, eye care tips and the right diet for healthy vision.
Discover how regular eye checkups, screen time control, and a healthy lifestyle can protect your child’s eyesight – all in this must-watch video!
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Transcript :-
आई चेकअप करते वक्त ओपीडी में रेगुलरली बच्चों का पेरेंट्स बहुत सवाल पूछते हैं तो मैं कोशिश करूंगा वही सारे सवाल का जवाब इस वीडियो में देने के लिए अंधेरे में पढ़ाई करने के लिए कम लाइट में पढ़ाई करने के लिए सो के मोबाइल देखने की वजह से माइनस नंबर बढ़ता है कि नहीं हां क्योंकि इस वजह से आंखों में स्ट्रेस बिल्ड अप होता है और स्ट्रेस की वजह से नंबर बढ़ने का चांसेस है जनरली जब हम अंधेरा में कुछ देखते हैं तो हमारा आंखों का पावर ऑटोमेटिकली बढ़ाने का कोशिश करना पड़ता है जिसकी वजह से आंखों का जो फ्लेक्सिबिलिटी है जिसको अकोमोडेशन बोलते हैं उसमें इमंबैलेंस होता है और हम लोग को फोकस करने के लिए कन्वर्जेंस चाहिए और हम लोग कुछ सोके जब पढ़ाई करते हैं तो हमारा आंख डायवर्जिंग कंडीशन में जाता है तो इसके वजह से आंखों का फोकस जो एबिलिटी है उसमें भी इमंबैलेंस होता है और यह सारे चीज़ के वजह से नंबर बढ़ने का चांसेस है आंखों का एक्सरसाइज माया पैर को कम कर सकते हैं कि नहीं नहीं कोई भी आंखों का एक्सरसाइज माइनस नंबर को कम नहीं कर सकते बट वेरियस कस्टमाइज्ड एक्सरसाइजज़ जो है जिसको विज़न थेरेपी बोलते हैं उसके वजह से माइनस नंबर का प्रोग्रेशन जो है वो स्लो डाउन हो सकता है कब चेक करना चाहिए who का वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का रेमेंडेशन के हिसाब से आप जन्म होने के बाद पहले साल में एक बार फिर तीसरे साल में एक बार फिर फिफ्थ ईयर में एक बार आंख चेक करना जरूरी है क्योंकि अगर आंख सही टाइम पे चेक नहीं किया तो जब तक चेक डिटेक्ट हुआ प्रॉब्लम तब तक उसका लेज़ आई होने का चांसेस रहता है अगर कोई बच्चों को दूर पे धुंधला दिखता है तो इमीडिएटली आंख चेक करना चाहिए अगर माइनस नंबर डिटेक्ट हुआ तो सेम महीने में एक बार आंख चेक करना चाहिए कि नंबर में प्रोग्रेशन हो रहा है कि नहीं देखने के लिए एक बहुत कॉमन क्वेश्चन है पेरेंट्स को चश्मा नंबर है तो बच्चों को चश्मा नंबर आने वाला है कि नहीं इसके आंसर देना बहुत कठिन है क्योंकि ये इसमें जेनेटिक फैक्टर्स भी है तो बच्चों को चश्मा नंबर आने का चांसेस तो है और इसको हम लोग प्रिवेंट करने का कोशिश कर सकते हैं अगर नंबर आए तो भी इसका प्रोग्रेशन स्लो डाउन करने का कोशिश कर सकते हैं इसके लिए सबसे इजी ऑप्शन यह है सही टाइम पे इसका डिटेक्शन होना ऐसे प्रेडिक्ट करना बहुत मुश्किल है जे उसको नंबर आएगा कि नहीं आएगा तो इसके लिए सबसे इजीएस्ट ऑप्शन है चेक स्क्रीन यूज करने के बाद क्या बेस्ट पॉसिबल ऑप्शन है आंख को रेस्ट देने के लिए डिजिटल एक्टिविटी या लंबा टाइम तक स्क्रीन यूज़ करने के बाद जो सबसे बेस्ट ऑप्शन है आंख को रेस्ट देने के लिए आंख बंद करके बैठ जाना हमारा आंख 6 सेकंड में एक बार नॉर्मली ब्लिंक करते हैं जभी भी हम लोग कोई काम बहुत कांस्टेंटली करते हैं तो हमारा आंख का ब्लिंकिंग रेट कम हो जाता है इसकी वजह से आंख में स्ट्रेस बिल्ड अप होता है आंख ड्राई भी हो सकता है जिस वजह से नंबर बढ़ने का चांसेस है आंख में थकावट भी महसूस हो सकता है तो इससे रिलीफ मिलने के लिए सबसे जो इजी ऑप्शन है आंख बंद करके बैठना क्योंकि उसमें आप में वापस रिलैक्सेशन होगा और प्लस जो हमारा आंखों का पानी का लेयर है वो वापस रिबिल्ड होगा फिर थोड़ा बहुत दूर पे देखना वापस नजदीक में देखना ऐसे तीन-चार बार फोकसिंग जो टारगेट है वह चेंज करना भी जरूरी है होगा फ्लेक्सिबिलिटी मेंटेन करने के लिए जब बच्चों में माइनर समय नहीं है इसलिए क्या करना चाहिए इसके लिए भी रेगुलर आई चेकअप बहुत जरूरी है दूसरा इंपॉर्टेंट पॉइंट है ऐसे तो कोई चीज है नहीं आविष्कार हुआ नहीं है जो नंबर नहीं आए उसके लिए क्या करना चाहिए और यह जरूर है हम लोग अगर हेल्दी लाइफस्टाइल करते हैं तो डेफिनेटली हम लोग नंबर को अवॉयड कर सकते हैं फॉर एग्जांपल माइनस नंबर का दो मेजर फैक्टर है एक जेनेटिक एक एनवायरमेंटल जेनेटिक में तो हम कुछ कर नहीं सकते मगर एनवायरमेंटल फैक्टर के ऊपर हम लोग कंट्रोल कर सकते हैं तो अगर किसी को जेनेटिक फैक्टर नहीं है सिर्फ एनवायरमेंटल फैक्टर के वजह से माइनस नंबर आने का चांसेस है तो एनवायरमेंटल फैक्टर के ऊपर हम लोग वर्कआउट करेंगे तो माइनस नंबर लगने का चांसेस कम है फॉर एग्जांपल बाहर जाकर धूप में खेलना डिजिटल वर्क या स्क्रीन टाइम कम कर देना और एक न्यूट्रिशियस डाइट लेना और हम लोगों को बैलेंस लाइफ टाइम के अंदर आज रात में अच्छा नहीं धोना ये सब कुछ करना बहुत जरूरी है माइनस नंबर को अवॉयड करने के लिए तो यह डेफिनेटली है जेनेटिक फैक्टर्स को हम लोग अवॉयड नहीं कर सकते मगर डेफिनेटली एनवायरमेंटल फैक्टर्स को हम लोग कंट्रोल कर सकते हैं माइनस नंबर को अवॉयड करने के लिए बच्चों को पेरेंट्स पूछते हैं कि क्या डाइट क्या खाना देना चाहिए माइनस नंबर को कंट्रोल करने के लिए एक इंपॉर्टेंट वर्ड है जिसको डीजनरेशन बोलते हैं जो हमारा बॉडी के लिए इंपॉर्टेंट है डीजनरेशन मतलब एजिंग ऑफ द बॉडी सिमिलरली आंखों के लिए भी डिजनरेशन बहुत इंपॉर्टेंट है एजिंग ऑफ द आई माइनस नंबर पे एजिंग ऑफ द आई मतलब डीजेटिव चेंजेस ज्यादा होने का चांसेस है तो हम लोग का डाइट में भी ऐसे ही खाना होना चाहिए जो डीजेटिव चेंजेस को थोड़ा डिले करें जैसे कि एंटीऑक्सीडेंट्स एंड विटामिन रिच फूड्स ग्रीन लीफी वेजिटेबल्स फिर कैरोट्स ड्राई फ्रूट्स यह सारे चीजें हम लोग को हेल्प करते हैं डिजनरेटिव चेंजेस को डिले करने के लिए आप कोई नॉनवेज खाते हैं तो उसके लिए फिश खाना बहुत जरूरी है डिजनरेटिव चेंजेस को डिले करने के लिए थैंक यू
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